मकान मालकिन की मस्त चुदाई Mia Sanz
मैं आज दिन में भाभी की चुदाई के बारे में सोचते सोचते सो गया.
टीवी यूं ही चलता रहा.
अचानक देर रात मेरी आंख खुली तो देखा कि आंटी मेरा नेकर खोलकर मेरे लंड को चूस रही थीं.
लेकिन ये क्या … मैंने तो आंटी के पूरे दांत देखे थे; लेकिन इस समय तो उनका मुँह पोपला था.
अब पाठकगण आप खुद अहसास करो कि आप गहरी नींद में हो और कोई पोपले मुँह से आपका लंड चूस रहा हो तो क्या अनुभव होगा.
आह क्या आनन्द आ रहा था, मानो स्वर्ग में हूं.
कमरे में घुप्प अंधेरा था. टीवी भी बंद था. एक बार तो सोचा कि नीतू को देख लूँ, लेकिन पोपले मुँह के कारण समझ गया कि कमरे में केवल आंटी हैं और वो ही मेरा लंड चूस रही हैं.
मैं प्यार से उनका सर सहलाने लगा.
आंटी काफी देर से लगी पड़ी थीं. मुझे अब लगने लगा था कि शायद उनके मुँह में ही ना झड़ जाऊं.
मैं पूरी ताकत से आंटी को अपने हाथों से पीछे करने लगा लेकिन वो तो मस्ती में मेरा लंड चूसने में ही लगी थीं.
मैं फुसफुसा कर बोला- आंटी, ऐसे तो मैं झड़ जाऊंगा.
आंटी बोलीं- झड़ जा ना!
बस मैं अब बिंदास हो गया और उनका मुँह चोदने लगा.
बड़ा आनन्द आ रहा था.
तभी मेरे लंड ने आंटी का मुँह पूरा मेरे माल से भर दिया.
आंटी हटने लगीं, तो मैंने उनका मुँह अपने लंड पर चिपका दिया.
आंटी को मेरा पूरा माल पीना पड़ा.
पूरा लंड खाली करके बाहर निकाला तो आंटी हांफ रही थीं.
मैं उनकी कमर सहलाने लगा.
उनका कुछ दम वापस आया तो मैं उनसे माफी मांगने लगा.
वो बोलीं- आज नीतू की फाड़ कर रख दी. अब मुझे भी ऐसा ही मजा दे!
मैं बोला- बिल्कुल जानम … लाओ तुम्हें तैयार करूं!
आंटी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रखवा लिया.
ये क्या … वहां तो मानो बाढ़ आई हुई थी. आंटी तो झड़ी पड़ी थीं.
फिर वो बोलीं- मेरी चूत भी चाट दे.
मैं आंटी को लिटाकर उनकी गीली चूत चाटने लगा.
लेकिन उनकी चूत तो पानी छोड़े ही जा रही थी.
मेरा मन थोड़ा खराब सा हुआ.
मैं बोला- आंटी नीतू ने तो सुहागदिन मना लिया, अब तुम सुहागरात मनाने आई हो तो चलो तुम्हारी भी ख्वाहिश पूरी कर देता हूँ.
आंटी बोलीं- आ जा, जल्दी से घुस जा अपनी आंटी के भोसड़े में!
मैं आंटी के ऊपर लेटकर उनकी चूचियां पीने लगा.
बुढ़िया मादक सिसकारियां निकालने लगी.
फिर मैं उनके ऊपर लेटे लेटे ही अपने लंड को उनकी चूत का रास्ता दिखाने लगा.
पहले टोपा घुसा, फिर आधा लंड पेला, फिर धीरे धीरे पूरा लंड उनकी चूत में घुसेड़ दिया.
उनकी एक लंबी सिस्कारी निकल गयी और उन्होंने मुझे अपनी टांगों में फंसा लिया.
आवाज दोनों ने बंद कर दी, सिर्फ इशारे से ही काम कर रहे थे.
आंटी मुझे हिलने नहीं दे रही थीं.
मैं लंड पेले पड़ा था और आंटी बार बार झड़ रही थीं.
मैं जोर लगाने लगा तो फुसफुआईं- ऐसे ही पड़ा रह … बड़ा मजा आ रहा है.
तो मैं भी फुसफुसाया- तेरी बेटी और बहू को चोदूं साली … लंड धक्के लगाने को बेचैन हो रहा है.
आंटी बोलीं- मादरचोद 5 मिनट पड़ा रह … बीस साल से खीरे से इसे चोदते चोदते परेशान हो गई थी. आज इस सुख का आनन्द ले लेने दे.
मैं चुपचाप उनकी चूचियों से खेलने लगा.
मैंने उनके पोपले मुँह में अपनी जीभ डाल दी जिसे वो आनन्द के साथ चूसने लगीं.
काफी देर तक मैं कभी उनकी चूची तो कभी उनकी जीभ चूसता रहा.
अचानक आंटी अपने चूतड़ हिलाने लगीं.
मैं समझ गया कि अब बुढ़िया को मस्ती आ गई है.
मैं उन्हें हचक कर चोदने लगा.
अरे ये क्या … आंटी ने तो एक ही मिनट में मुझे फिर से अपनी टांगों में फंसा लिया और कांप कांप कर झड़ने लगीं.
मैं फुसफुसाया- क्या कर रही हो प्रिये?
आंटी बोलीं- बीस साल से तरस रही हूँ इसलिए जल्दी जल्दी माल निकल रहा है.
मैं बोला- कोई बात नहीं, लेकिन ऐसे तो मुझे मजा ही नहीं आएगा. तुम घोड़ी बन जाओ.
वो झट से उल्टी लेट गईं.
मैंने पीछे से ही उनकी चूत में लंड डाला और उन्हें जोर जोर से चोदने लगा.
उनकी चूत इतना पानी छोड़ रही थी कि छप छप की आवाज से पूरा कमरा भर गया.
वो भी सिसकारने लगीं.
मैं फुसफुसाया- मेरी कुंडी लगा दी थी या नहीं?
वो बोलीं- भिड़ा दी थी.
मैं बोला- बराबर के कमरे में ही तुम्हारे पोते पोती सो रहे हैं, जग जाएंगे.
वो बोलीं- बहू भी किवाड़ भिड़ाए सो रही है. अब मैं भी तुझे रोकूं, तो तू रुकना नहीं बस अपना काम पूरा करके ही हटना.
मैं बोला- जानम आंटी, तुम्हारी चूत में आनन्द नहीं आ रहा, कहो तो गांड मार लूं?
आंटी बोलीं- मादरचोद, पहले मेरी चूत की खुजली तो शांत कर दे, फिर गांड मार लियो.
मैं बोला- तो ले चूत की मां चुदवा ले.
मैं आंटी की चूत की चटनी बनाने लगा.
पछ पछ पछ पछ के साथ आंटी की बहुत हल्की आवाज ‘आह ऊऊईई आआह …’ आ रही थी.
मेरे हाथों से उनके चूतड़ पीटने की आवाज से पूरा कमरा भर रहा था.
मुझे डर था कि उनके लड़का बहू तक हमारी चुदाई की आवाज ना पहुंच जाए.
मैंने उन्हें कहा तो वो बोलीं- कोई बात नहीं, तू लगा रह!
आंटी बार बार झड़ रही थीं.
मैं फिर भी उन्हें पेले जा रहा था.
काफी देर बाद मेरा पानी छूटा, मैंने उनकी चूत में अपने लंड को पूरा घुसा कर खाली कर दिया.
फिर मैं पेशाब करने चला गया और आ कर देखा तो आंटी अब भी मदहोश पड़ी थीं.
मैंने प्यार से उनके चूतड़ पर हाथ फेरते हुए कहा- अब बस की नहीं है तो क्यूं?
आंटी बोलीं- बस थक गया … गांड नहीं मारेगा?
मैं बोला- टट्टी निकल जाएगी.
वो बोलीं- निकाल कर दिखा साले.
मैं बोला- कभी मराई भी है?
वो बोलीं- तेरे अंकल ने कोई सा भी छेद नहीं छोड़ा. तू भी अपने मन की कर ले … चल आ जा मार ले मेरी गांड.
मैं बोला- अपनी बहू की दिलवाओगी?
आंटी बोलीं- तू तो उसे बहन मानता है?
मैं बोला- हरयाणा का गोदना बहन बना कर चोदना.
आंटी बोलीं- जो तेरे मन में आए वो कर लियो, अब मेरी गांड मार.
मैंने भी जोश ही जोश में आंटी की चूत में लंड भिगोकर उनका मुँह बंद किया और एक करारा धक्का उनकी गांड में मारकर पूरा घुसा दिया.
बुढ़िया बिलबिला गई और छूटने की कोशिश करने लगी.
लेकिन मैं नहीं रुका और ताबड़तोड़ उसकी गांड मारने लगा.
वो मेरी उंगलियों को काटने लगी, लेकिन मुझ पर तो जुनून सवार हो गया था.
पहली बार किसी की गांड मार रहा था. दोनों बीवी में से किसी ने भी अपनी गांड नहीं मराई थी.
मेरी पहली बीवी एक हादसे में मर गई थी. फिर मेरी दूसरी शादी हो गई थी.
आआह क्या कसाववट थी गांड में, पूरा लंड अन्दर पेल कर बड़ा आनन्द आ रहा था. उसके भरे हुए चूतड़ों में मेरा लंड कहीं खो सा गया था.
मुशिकल से 10 मिनट में ही मैं आंटी की गांड में झड़ गया और उनके ऊपर ही सोने लगा.
करीब आधा घंटा बाद आंटी उठीं और बोलीं- पेशाब करके सोऊंगी.
मैं बोला- और मन हो तो आ जाना.
आंटी हाथ जोड़कर चली गईं.
फिर मैं कुंडी लगा कर सो गया.
मैं बहुत कामुक इंसान हूं. अभी भी नयी पुरानी चेली ढूंढता रहता हूं.
मेरी इस बीमारी का कारण ये नीतू भाभी ही हैं, उन्हीं के जरिए आंटी की बहू की चूत की जुगाड़ देखूँगा.
मैं सुबह 10 बजे सो कर उठा और अपने किवाड़ खोले.
सामने नीतू भाभी अपनी रसोई में से मुझे ही देख रही थीं.
मैंने अपने नीचे देखा तो मैं सिर्फ नेकर में ही था और उसमें भी तम्बू बना हुआ था. जिसे वो देखते हुए मंद मंद मुस्करा रही थीं.
हाय … मुझे नशा सा हो गया और मैं उनकी तरफ बढ़ने को हुआ तो उन्होंने आंखों का इशारा आंटी के कमरे की तरफ कर दिया.
मैं समझ गया कि आंटी यहीं हैं.
फिर मैं तौलिया लपेट कर हल्का होने बाहर निकला.
आंटी अपनी खाट पर लेटी थीं.
मैं बोला- आंटी अब तक सो रही हो … तबियत तो ठीक है?
आंटी जोर से बोलीं- हां आज बुखार है.
ये सुनकर उनकी बहू अपने रूम से नीचे आ गईं बोली- आज मैं अकेली ही दूसरे घर जा रही हूं, तीनों बच्चों को भी ले जाती हूं. तुम जब आओ, फोन कर लेना. नौकर से तुम्हें बुला लूँगी.
कह कर वो चली गई.
नीतू भाभी की लड़की को भी उसके बच्चे अपने साथ ले गए थे.
मैं भी हल्का होने लेट्रिन में घुस गया.
फिर हाथ धोकर अपने कमरे में आ गया.
पीछे से नीतू भाभी भी चाय लेकर आ गईं.
मैंने चाय अलग रख कर उन्हें बांहों में भर लिया और उनके होंठ चूसने लगा.
वो धीरे से बोलीं- बुढ़िया के जाने के बाद कर लेना.
मुझसे छूट कर भाभी अपने कमरे में चली गईं.
चाय पीकर मैं आंटी के पास चला गया और बोला- बस जानम एक बार में ही दम निकल गया क्या?
आंटी हंसकर बोलीं- अभी तो दोबारा चुदना है … इसलिए बहाना बना दिया.
मैं बोला- ठीक है, रात को आ जाना.
आंटी बोलीं- अभी भी तो कोई नहीं है, चल जल्दी से कर लेते हैं.
आंटी मेरी ओर आंख मार कर मुस्कुराती हुई बोलीं.
मैं बोला- ये तो नीतू भाभी का टाईम है आप रात को आना.
आंटी बोलीं- अरे पूरे दिन उसे ही चोदते रहना. पहले एक बार मुझे ठंडी कर दे.
मैं बोला- नीतू भाभी के सामने ही पेल दूँ?
इतने में ही आंटी हामी भरती हुई खड़ी हो गईं और मेरे होंठ चूसने लगीं.
वो मेरे लंड को तौलिए के ऊपर से मसलने लगीं.
तभी पीछे से नीतू भाभी भी आकर पीछे से मुझसे चिपट गईं.
आआह … क्या आनन्द मिलने लगा था.
भाभी की छोटी साईज की चूचियां पीछे से और आंटी की बड़ी चूचियां आगे से रगड़ खाने लगीं.
सच में बड़ा आनन्द आ रहा था.
मैं तो आंटी के होंठ चबाने लगा.
तब वो पीछे को हुईं और जैसे बच्चे रूठते हैं, ऐसा मुँह बनाकर मुझे देखने लगीं.
तभी नीतू ने मेरे अधरों पर अपने अधर रख दिए, जिन्हें मैं पीने लगा.
आंटी नीचे बैठकर नेकर में से मेरा लंड निकाल कर चूसने लगीं.
आह आअह … क्या आनन्द आ रहा था.
फिर नीतू भाभी मुझसे अलग होती हुई बोलीं- इस समय तुम इन्हें शांत करो और इन्हें यहां से भेजो. फिर अकेले में हनीमून मनाएंगे.
मैं आंटी से बोला- चलो जानू घोड़ी बन जाओ.
इतने में नीतू भाभी अपनी रसोई में चली गईं और मैंने आंटी के कपड़े उतारने शुरू कर दिए.
यारो 60 साल की उम्र की आंटी के चेहरे पर हल्की झाईयां तक आ गई थीं, चूची हल्की सी लटकी हुई थीं और चूत में से झरना बह रहा था. मगर जोश साला सोलह साल की लौंडिया से ज्यादा था.
मैं बोला- आंटी, आपकी चूत इतना पानी क्यूं टपका रही है?
ओल्ड लेडी सेक्स के लिए मचलती हुई बोलीं- अबे 20 साल से खीरे से चूत चोद रही हूं और अचानक तेरा खीरे जैसा लंड मिलने की खुशी में ये बावली हुई पड़ी है. तुझसे रात को चुदवाने के बाद मैं दोबारा आई तो तूने तो कुंडी ही लगा ली थी. मैं तो तुझसे रात ही दोबारा चुदना चाहती थी.
ये कह कर आंटी ने मुझे नीचे ही लिटा दिया और मेरे लंड से खेलने लगीं.
मैं भी उनकी चूचियों से खेलने लगा.
आंटी ने अपनी गांड मेरे मुँह की तरफ कर दी और बोलीं- जरा मेरी चूत चाट दे … तुझे मेरे पानी से कितनी भी घिन आए, पर आज चाट दे राजा. आज के बाद नहीं कहूँगी.
मुझे उन पर प्यार सा आ गया तो मैं ऊपर से नीचे तक कुत्ते की तरह मैं आंटी की चूत चाटने लगा.
आंटी की चूत से झरना बह रहा था.
तभी नीतू भी वहीं आ गई और मेरे बगल में ही लेटकर मुझे आंटी की चूत चाटती हुई देखने लगी.
तो मैं एक हाथ में भाभी की चूची पकड़ कर सहलाने लगा.
मैं 69 में आ गया और आंटी की चूची मसलते सहलाते हुए किसी मदांध कुत्ते की तरह चूत चाट रहा था; आंटी मेरा लंड पी रही थीं.
आंटी की चूत से लगातार पानी के रिसाब के कारण मुझे घिन भी आ रही थी लेकिन उनके प्यार भरे अनुरोध को याद करके मैं उनकी चूत चाटे जा रहा था.
नीतू मुझे बार बार हटने का इशारा कर रही थी.
लेकिन आंटी मेरे सर को अपनी टांगों में दबाती हुई कहे जा रही थीं- आंह हां हां ऐसे ही चाट … अह खा ले!
उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह से निकाल दिया था.
मैंने नीतू का सर पकड़ कर अपने लंड को उसके मुँह में डाल दिया और हल्के हल्के झटके देने लगा.
आंटी बोलीं- झड़ जाएगा, रहन दे.
मैं बोला- आंटी, चूत चटवानी है या नहीं?
आंटी खामोश हो गईं.
नीतू भाभी चटखारे ले लेकर मेरा लंड चूसने लगी थीं.
मैं आंटी की चूत चाटता रहा.
दस मिनट बाद आंटी मस्ती के मारे अर्धमूर्छित सी हो गईं.
मैं बोला- बस जानम बहुत हो गई चूत चटाई, अब तुम नौकर को बुलाकर जाओ.
आंटी बोलीं- बस एक बार तबियत से चोद और दे, मन हरा हो जाएगा.
ये कहकर वो मेरे ऊपर छा गईं.
मुझे नीचे लिटाकर अपनी चूत मेरे लंड पर दबाकर मेरे ऊपर लेटकर मुझे चोदने लगीं.
‘आह आह …’
हम तीनों के मुँह से ऐसे ही शब्द निकल रहे थे.
आंटी क्या फुर्ती से मुझे चोद रही थीं. आह स्वर्ग का आनन्द आ रहा था.
लेकिन आंटी कुछ ही मिनट में थक गईं और उल्टी होकर लेट गईं.
वो मुझसे बोलीं- अब तू ही चोद … मैं तो थक गई.
मैंने उनकी गांड पर धीरे से एक चपत लगाई और अपने लंड को आंटी की चूत का रास्ता दिखा दिया. लंड चूत में पेल कर ‘दे धनाधन …’ आंटी को चोदने लगा.
ओल्ड लेडी सेक्स की मस्ती में पड़ी हुई अपनी चूत चुदा रही थीं.
नीतू भाभी अपने कमरे में चली गई थीं.
पन्द्रह मिनट बाद मैंने आंटी की चूत में से लंड निकालकर उनकी गांड में डाल दिया.
वो एकदम से चिल्ला दीं और मुझसे छूटने की कोशिश करने लगीं.
लेकिन मैं उन्हें दबोचे हुए दे दनादन चोदने लगा.
लगभग दस मिनट बाद मैं उनकी गांड में ही झड़ गया.
अब आंटी शांत पड़ी थीं.
मैं उनके ऊपर से उतरकर उनके गालों पर चूमकर पेशाब करने चला गया.
पीछे से नीतू भाभी ने आकर मेरा लंड पकड़ लिया.
आआह अब तो मूतने में भी आनन्द आ रहा था.
मूत कर मैं पलट गया और नीतू भाभी का मुँह पकड़ कर अपने लंड पर ले आया.
लेकिन वो मुझसे छूट कर बोलीं- पहले बुढ़िया को भगाओ.
मैं बोला- उसके सामने ही कर लेंगे.
भाभी बोलीं- नहीं पहले उसे भगाओ जल्दी से. साली बीच बीच में उंगली करेगी.
मैं आंटी के पास गया और उनके बाल सहलाते हुए बोला- जानम और इच्छा हो तो बताओ, नहीं तो अपने दूसरे घर जाओ.
वो बोलीं- अब तो रात को आऊंगी.
मैंने कहा- ठीक है.
फिर उन्होंने अपने नौकर को बुलाया और चली गईं.
उनके जाते ही मैंने नीतू को बांहों में उठाकर उन्हें उसके बेड पर लेटा दिया और उनकी चूची दबाने लगा.
वो मेरा लंड पकड़ने लगीं और अपने अधर मेरे अधरों पर रख दिए.
मैं भी उनके अधरों का पान करने लगा और उनकी चूचियों को आटे की तरह गूँथने लगा.
भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और इशारे से बोलीं- दर्द हो रहा है.
मैं उनकी चूचियों को हल्के हल्के से मसकने लगा.
उनके मुँह की लार मेरे मुँह में और मेरे मुँह की लार उनके मुँह में जाने लगी.
अपना एक हाथ मैंने भाभी के लोअर में डाल दिया और उनकी चूत में उंगली करने लगा.
उनकी चूत भीगी हुई थी.
मैंने उनके होंठों से मुँह हटाया और कहा- तुम्हारी भी चू रही है.
वो बोलीं- लाइव पोर्न देखा है ना इसलिए.
फिर मैं भाभी का टॉप उतारने लगा और उनकी चूचियों को भूखे भेड़िये की तरह निचोड़ने लगा.
वो लगातार सिसिया रही थीं- आआह उउऊ आआह मर गई छोड़ो.
पर मैं उनकी चूचियां पीता रहा और उनकी चूत में उंगली करता रहा.
वो मेरे ऊपर हो गई थीं और बोलीं- बुढ़िया पर बड़ा लाड़ आ रहा था जानम जानम कह रहे थे हुंन्ह डुकरिया कहीं की … मुझसे पहले चुद गई हरामजादी रांड.
मैं बोला- कोई बात नहीं भाभी … बुढ़िया के कसबल आज ही ढीले कर दूंगा.
भाभी बोलीं- ठीक है, बेचारी खीरा से चुद चुद कर परेशान हो रही थी, चलो उसी के आइडिया से तो तुम मुझे मिले हो.
फिर हम 69 में होकर एक दूसरे के चूत लंड का मजा लेने लगे.
आह अह की सिसकारियों से पूरा कमरा भर गया.
मैं भाभी की गांड अपनी उंगली से छेड़ने लगा, तो उन्होंने भी मेरी गांड में उंगली करनी शुरू कर दी.
मैं समझ गया कि आज भाभी गांड का उद्घाटन करवाने के मूड में हैं.
मैंने कहा- आज डीजल गाड़ी चलाने का मन है भाभी.
वो समझ नहीं पाईं और बोलीं- मतलब?
मैंने कहा- पीछे से लेने का मन है?
भाभी बोलीं- हां बुढ़िया की गांड मार रहे थे तब मन तो मेरा भी हो रहा था. मगर चूत में लंड ने हाहाकार मचा दिया था, गांड का तो गड्डा बना दोगे.
मैंने कहा- बन जाने दो भाभी. एक दुकान और भी तो खुल जाएगी.
भाभी राजी हो गईं और मैं उनकी गांड को ढीली करने लगा.
दोस्तो, अभी के लिए सेक्स कहानी को यहीं विराम दे रहा हूँ.
आप मुझे कमेंट्स जरूर करें कि ओल्ड लेडी सेक्स कहानी कैसी लगी?
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