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इंडियन बीवी की चुदाई EP 7

रोड सेक्स हिंदी कहानी में पढ़ें कि मैं अपनी बीवी की चुदाई कर रहा था कि मन्त्री जी ने गाड़ी भेज कर मेरी बीवी को फार्म हाउस बुला लिया. मैंने बाइक से पीछा किया तो …

नमस्कार दोस्तो, मैं पैंतीस साल का स्वप्निल झा अपनी बीस साल की रंडी बन चुकी बीवी की चुदाई कहानी सुना रहा था.

आपको मैंने पिछली सेक्स कहानी
मेरी बीवी की ताबड़तोड़ चुदाई
में बताया था कि पुलिस अधिकारी गुरबचन जी अपने दो साथियों के साथ मेरी बीवी को चोदने मेरे घर आ गए थे.
उन्होंने मुझे घर से चले जाने की कह दिया था और वो तीनों मेरी बीवी की चूत गांड की प्यास बुझाने लगे थे.

अब आगे रोड सेक्स हिंदी कहानी:

उस दिन के घटना के बाद सात दिन तक न किसी का कॉल आया ना कोई खुद आया.

मैंने अरुणिमा को दो दिन आराम करने दिया और तीसरे दिन अरुणिमा अपनी ठरक के चलते खुद मुझे उकसाने लगी और हमने चुदाई कर ली.

वो मुझसे एक बार चुदने से ठंडी नहीं हुई थी और उसे अभी अपनी और चुदाई करवाने का मन था.
मैंने काफी देर तक उसकी चूत चाटी और कुछ कोशिश करके फिर से उसे चोदा मगर मैं जल्दी झड़ गया और उसने मुझसे फिर से अपनी चूत चटवा कर जैसे तैसे अपनी चूत का पानी निकलवा लिया.

अब हम दोनों सो गए.

फिर दिन में दो या तीन बार के हिसाब से अगले पांच दिन तक मैं उसकी चुदाई करता रहा.
अलग बात बस ये रही कि पहले मैं उसकी गांड नहीं मार पाता था, पर इन पांच दिनों में मैंने हर रोज उसकी गांड मारी थी.

वो भी कमोवेश कुछ ठंडी होने का अहसास करती थी मगर अब मेरे अकेले के लंड से उसकी चूत गांड की खुजली शांत नहीं होती थी.

आठवें दिन सुबह का नौ बज रहा था और मैं बरामदे में बैठ कर पेपर पढ़ रहा था.
अरुणिमा हमेशा की तरह नंगी ही थी और मेरी टांगों के बीच बैठ कर मेरा लंड चूस रही थी.

आज छुट्टी का दिन था तो किसी के आने की उम्मीद नहीं थी.
मैंने सामने के दरवाजे की कुण्डी नहीं लगाई थी और बेफिक्री से मैं लंड चुसाई का मजा ले रहा था.

जैसे ही मैं अरुणिमा के मुँह में झड़ा, मुझे लगा कि मेरे पीछे कोई खड़ा है.
मैंने पेपर एक तरफ किया और अरुणिमा ने नजर उठा कर देखा.

उसकी आंखों में आश्चर्य के भाव थे, तो मैंने तुरंत उठ कर पीछे देखा.
पीछे एक आदमी खड़ा था, जो ड्राइवर की पोशाक पहने हुए था.

मैंने उसे देखा तो उसने कहा- मुझे विश्वेश्वर जी ने भेजा है. उन्होंने अरुणिमा जी को फार्महाउस पर बुलाया है. शाम तक मैं उनको वापस छोड़ दूंगा.
अरुणिमा खड़ी हुई ये जानते हुए कि वो नंगी है. उसने अपने हाथों से अपनी चूत और मम्मों को छुपाया.

वो उस ड्राइवर से बोली- बाहर रुको, मैं तैयार होकर आ रही हूँ.
ड्राइवर बोला- विश्वेश्वर जी ने कहा था कि मैडम नंगी ही होंगी और उनको उसी हालत में लाना है. आपको कपड़े पहनने की जरूरत नहीं है.

मैंने बात काटने को हुआ तो उसने कहा- और ये भी बोला है कि स्वप्निल जी को साथ में नहीं लाना है.
मैंने तुरंत विश्वेश्वर जी को कॉल किया तो वो बोले- हां तो अरुणिमा को चोदने को ही बुला रहा हूँ, नंगी आएगी तो क्या हो जाएगा. यहां आकर तो उसे नंगी होना ही है.

तब मैंने अपने आने का पूछा तो बोले- तू क्या करेगा आकर, मेरा लंड हाथ में पकड़ कर उसकी चूत में डालेगा क्या? तू घर पर ही रह, मैं शाम को उसको पहुंचवा दूंगा.

मैंने कभी सोचा नहीं था कि विश्वेश्वर जी और बाकी लोग अरुणिमा को अपनी रखैल समझने लगेंगे.

मैंने विश्वेश्वर जी से कहा- एक बार के लिए ठीक था लेकिन ये रुटीन बनाना ठीक नहीं है. अरुणिमा मेरी वाइफ है और उसको इस तरह से बार बार, आप मेरी बात समझ रहे हैं ना?

विश्वेश्वर जी बड़े आराम से बोले- हमारे रसूख से तुमने कितने दो नंबर के काम एक नंबर में करवाए हैं. एक दो बार का समझ आता कि चलो पहचान है तो हमारे रसूख का इस्तेमाल कर लिया. कभी कभी के लिए ठीक है. पर तुमने आदत बना ली थी. हर जगह हमारे नाम का इस्तेमाल करके अपना हर काम करवाया है. मैंने कभी बोला क्या कि स्वप्निल बस हो गया, अब हमारे नाम का इस्तेमाल मत करो.

मैं चुपचाप सुन रहा था.

वो थोड़ा रुक कर बोले- लेकिन मैं तेरी बात समझ गया. चलो जो हुआ सो हुआ, पुरानी बात को दफ़न करते हैं. जो काम करवा लिए और जिनका पेमेंट हो गया उसको भूल जाते. अब कोई पेमेंट रुका हुआ या काम चालू है, उसको मैं सब जगह फोन करके रुकवा देता हूँ. मैं ये नहीं बोल रहा कि काम उठाने या करने नहीं दूंगा. बिल्कुल करो, बस मेरे नाम से कोई नया काम नहीं मिलेगा. अपने सामर्थ्य पर काम करो, जैसा सब करते हैं.

मेरे बहुत ज्यादा बड़े दो तीन काम पेंडिंग चल रहे थे अभी. काम रुक जाना बड़े नुकसान का कारण बन सकता था और सच तो ये था कि बिना इन चारों के रसूख के मैं इस शहर में काम कर ही नहीं सकता था.

मैंने अपनी आवाज में नर्मी ला कर कहा- शाम को कितने बजे तक अरुणिमा को पहुंचवा देंगे आप?
विश्वेश्वर जी बोले- क्या बात है, बड़ी चिंता हो रही है. चार बजे तक छुड़वा दूंगा. ज्यादा लम्बा प्रोग्राम नहीं है.

मैंने ड्राइवर से कहा कि गाड़ी को बाउंड्री के अन्दर ले आए.

वो बाहर गया और महिंद्रा स्कार्पियो को अन्दर ले आया.
अरुणिमा नंगी ही बाहर निकली और चुपचाप पीछे की सीट पर बैठ गई.

स्कार्पियो तुरंत निकल गई और मैं अन्दर आ गया.
हालांकि विश्वेश्वर जी ने मुझे घर पर रहने को बोला था पर मेरा अरुणिमा को अकेले वहां छोड़ने का मन नहीं था.

मैंने पिछली बार देखा था कि मेरी अनुपस्थिति में लोग अरुणिमा को वहशी की तरह चोदते हैं.

तो मैं तैयार हुआ और घर को बंद करके बाइक से विश्वेश्वर जी के फार्महाउस के तरफ रवाना हुआ.

फार्महाउस शहर के बाहर सुनसान में स्थित है और लगभग चार किलोमीटर का रास्ता एकदम सुनसान था.

एक तो स्कार्पियो की गति बाइक की तुलना में ज्यादा ही होती है और दूसरा मुझे निकलते भी बीस मिनट से ऊपर हो गया था.

अरुणिमा अब तक पहुंच गई होगी और मैं क्या बहाना बनाऊंगा, ये सोच कर मैं थोड़ा धीरे धीरे ही ड्राइव कर रहा था.

अभी दो किलोमीटर सुनसाने में ड्राइव किया होगा, तो मुझे वही स्कार्पियो रोड से थोड़ा नीचे उतर कर मैदान में एक पेड़ के नीचे खड़ी दिखी.

स्कार्पियो पहचानने में गलती तो हो ही नहीं सकती थी क्योंकि विधायक का लाल बोर्ड स्कार्पियो के आगे लगा हुआ था, जो दूर से ही दिख रहा था.
अक्सर ड्राइवर मालिक को छोड़ कर ऐसे सुनसाने में गाड़ी खड़ी करके आराम करते हैं.

मुझे लगा कि ये ड्राइवर भी अरुणिमा को छोड़ कर आ गया होगा.
अब वहां की क्या परिस्थिति है, इस बात का अवलोकन और अनुमान लगाने के लिए मैंने ड्राइवर से पूछताछ करने का निर्णय लिया.

मैंने बाइक को उस ओर मोड़ दी और स्कार्पियो से कुछ दूर बाइक खड़ी कर दी.

स्कार्पियो की सारी खिड़कियां खुली हुई थीं, सो मैं टहलते हुए दरवाजे के पास पहुंचा.
जैसे ही मैंने अन्दर झांका, मुझे करंट सा लगा. मेरा चेहरा सीधे अरुणिमा के सामने था.
अरुणिमा बीच वाली सीट पर घोड़ी की तरह बनी थी और वो ड्राइवर उसको पीछे से चोद रहा था.

मुझे देख कर अरुणिमा ने नज़र झुका ली और ड्राइवर मुझे देख कर मुस्कुरा दिया.

दो चार धक्के लगाने के बाद उसने बोला- कमाल की टाइट चूत है रंडी की, मज़ा ही आ गया.
मुझे गुस्सा आ रहा था तो मैंने तुरंत विश्वेश्वर जी को कॉल करके उनको स्थिति से अवगत कराया.

विश्वेश्वर जी बोले- वजन करके देख ले. क्या अरुणिमा का पांच सौ ग्राम कम हो गया क्या?
मैंने कुछ जवाब नहीं दिया तो वो बोले- या फिर चूत दो इंच घिस कर छोटी हो गई या पतली हो गई?

मैंने फिर कोई जवाब नहीं दिया.
तो वो बोले- रंडी है अरुणिमा! बेचारे ड्राइवर को रंडियां जल्दी मिलती नहीं हैं, चोदने दे उसको. और तेरी जानकारी के लिए बता देता हूँ कि वो मुझसे पूछ कर चोद रहा है.
मैं चुप था.

फिर उन्होंने मुझसे पूछा- तुझे तो घर पर ही रहने को बोला था ना, तू वहां क्या कर रहा है?
मैंने कहा कि क्योंकि अरुणिमा घर पर नहीं थी, तो मैं ऐसे ही तफरीह करने निकला था और मुझे आपके फार्महाउस के आगे एक पिकनिक स्पॉट पर जाना था.

उनको मेरी बात सही लगी तो कुछ प्रतिक्रिया नहीं दी और फोन रख दिया.

मैं फ़ोन रख कर पलटा तो ड्राइवर अपना लंड अरुणिमा के चूत में खाली कर रहा था.

लंड खाली करके वो उठा और कपड़े लेकर बाहर निकल गया.
बाहर उसने कपड़े पहने और फिर ड्राइविंग सीट पर आ गया.

उसने गाड़ी को चालू किया और मेरे बगल से निकल गया.
अरुणिमा अन्दर एक कपड़े से अपनी चूत को साफ़ कर रही थी.

जब स्कार्पियो कुछ दूर निकल गई तो मैं धीरे धीरे फार्महाउस की तरफ बढ़ने लगा.
फार्महाउस पहुंचा तो बाइक धीरे कर दिया और गेट के सामने से निकला.

मैंने सर घुमा कर अन्दर झांका, तो मेरा शक सही निकला.

विश्वेश्वर जी ने अकेले चोदने के लिए अरुणिमा को फार्महाउस नहीं बुलवाया था.
अन्दर के गेट के ठीक सामने अरुणिमा घुटनों के बल बैठी थी और गुरबचन जी का लंड चूस रही थी.

उनके बगल में राजशेखर जी भी खड़े थे और अरुणिमा उनका लंड हाथ से सहला रही थी.
मैं बाइक लेकर आगे निकल गया और बाइक को एक सुनसान जगह पर खड़ा करके पैदल वापस आया.

मैं सावधानी पूर्वक गेट तक आया.
अन्दर झांका और देखा कि अब वहां कोई नहीं था.
सब शायद अन्दर जा चुके थे.

तो मैं अन्दर झांकने का तरीका सोचने लगा.
मैंने पूरे फार्महाउस का एक चक्कर लगाया और जब मैं गेट पर वापस पहुंचा तो वहां ड्राइवर खड़ा था.

उसको देख कर मैं हड़बड़ा गया.
उसने मुझसे कहा- साहब, अन्दर बुला रहे हैं.

मैं धड़कते दिल के साथ अन्दर गया और हॉल में कदम रखा.
हॉल में विश्वेश्वर जी, राजशेखर जी और गुरबचन जी के अलावा तीन और लोग बैठे थे.

सब नंगे बैठे थे और मैं सोच रहा था कि ये सबके सब अगर अरुणिमा को दो दो बार भी चोदेंगे तो वो पक्का बेहोश हो जाएगी.
गुरबचन जी मेरे पास आए और मुस्कुरा दिए.
मैं भी मुस्कुराया.

उन्होंने खींच कर मेरे चूतड़ों पर एक थप्पड़ लगाया और बोले- मना किया था न भोसड़ी के … फिर क्यों आया?

मुझे कुछ बोलते नहीं बना तो राजशेखर जी बोले- छोड़ ना, आ ही गया है तो इसको यहीं रहने दे.
फिर मुझे देख कर बोले- हमारे मजे में गांड पंगे ना करना, ठीक है!

मैंने सर हिला दिया और मुझे बैठने के लिए कह दिया गया.
मैं एक कुर्सी पर बैठ गया.

थोड़ी देर बाद अरुणिमा ट्रे लेकर कमरे में मुस्कुराती हुई आई.

उम्मीद के अनुसार बिल्कुल नंगी ही थी और हाथ में ट्रे थी, जिसमें शराब और चखना आदि सामान रखा था.
वो चल कर कमरे में मौजूद हर आदमी के पास जाती और वो लोग अपना अपना गिलास उठा लेते. साथ में या तो उसकी चूत में उंगली कर देते या उसकी जांघों को सहला कर मसल देते या उसके मम्मों को मसल देते, उसकी गांड में उंगली कर देते.

अरुणिमा हंस कर उन्ह आंह कर देती.

जब शराब पूरी बांट दी गई तो लोग अपना अपना गिलास पीने लगे.

एक गिलास ख़त्म हुआ तो अरुणिमा बोतल लेकर सबको परोसने लगी.

इस बार भी लोग उसके बदन से खेलते रहे.
शराब के दो तीन दौर के बाद विश्वेश्वर जी ने और शराब परोसने से मना कर दिया और अरुणिमा अन्दर चली गई.

उसके जाने के बाद सब लोग आपस में किसी टॉपिक पर बात करने लगे.
मुझे उन सबकी कोई बात समझ नहीं आ रही थी तो मैं उठा और अन्दर चला गया.

मैं अरुणिमा से मिलना चाहता था.
अन्दर उसको ढूंढता हुआ मैं किचन में पहुंचा.

किचन में अरुणिमा अकेली नहीं थी, जो लोग शराब पी रहे थे, उनमें से एक नजर बचा कर या विश्वेश्वर जी की मर्जी से अन्दर था.

अरुणिमा किचन में खड़ी थी और वो उसको पीछे से चोद रहा था.
अब वो आदमी अरुणिमा की गांड मार रहा था या चूत ये कह पाना मुश्किल है क्योंकि अरुणिमा का चेहरा मेरी तरफ था.

चोदने वाला अपना संतुलन बनाये रखने के लिए वो अरुणिमा के मम्मों पर अपने दोनों हथेली रखे हुए था.
अब कितना संतुलन बन रहा था मुझे नहीं पता, पर वो चुदाई के साथ साथ बहुत जोर जोर से अरुणिमा के मम्मों को मसल रहा था.

मुझे अन्दर आए दस मिनट हुए थे और वो आदमी शायद दस मिनट पहले अन्दर आया था.

उसकी शकल बता रही थी कि वो चरम पर पहुंच गया था और अरुणिमा के अन्दर झड़ने लगा.

फिर उसने अपना लंड बाहर खींचा और अपना पैंट ऊपर चढ़ा कर बाहर चला गया.

अरुणिमा वाशबेसिन तक गई और गीले कपड़े से खुद को साफ़ करने लगी.

अभी मैं उससे बात करने ही वाला था कि एक दूसरा आदमी आया और उसकी कमर में हाथ डाल कर उसको बाहर ले गया.
इससे पहले कि मैं उनका पीछा करता, वो दोनों पता नहीं किधर से मुड़े कि मैं उन्हें ढूंढ ही नहीं पाया.

पूरे फार्महाउस में भटकते भटकते आखिर बीस मिनट के बाद मैंने अरुणिमा को देखा.
वो दोनों फार्महाउस के पीछे की तरफ थे.

जब मैं वहां पहुंचा तो मैंने देखा कि वो आदमी अरुणिमा की छाती दीवार से सटा कर अरुणिमा को अपने और दीवार के बीच पीसते हुए उसकी गांड मार रहा था.

वो धक्के भी काफी ज़ोर से लगा रहा था जिससे अरुणिमा कराह रही थी मगर उसके चेहरे पर दर्द की शिकन भी नहीं थी.
इससे साफ़ मालूम पड़ रहा था कि वो अपनी निम्फो वाली समस्या से जूझ रही है.

जब तक मैं वहां पहुंचा वो अरुणिमा की गांड में झड़ने लगा.
मेरे पहुंचते ही उसने अपना लंड बाहर निकाला और पैंट ऊपर चढ़ा कर चलते बना.

अरुणिमा भी उसके पीछे पीछे चल दी और किचन में जाकर खुद को साफ़ करने लगी.

अभी वो सफाई करके मुड़ी ही थी कि तीसरा आदमी अपनी लंड की प्यास बुझाने हाजिर था.

उसने मुझे देखा और मुस्कुरा दिया.

फिर अरुणिमा के कंधे पर थपथपाया.
अरुणिमा ने मुड़ कर उसे देखा तो उसने उसको किचन स्लैब पर ही झुकने को कहा.
अरुणिमा यंत्रवत झुक गई.

उसने अरुणिमा के चूतड़ों को फैलाया और उसकी गांड में अपना लंड घुसेड़ना शुरू कर दिया.
इसका भी लंड गुरबचन जी की तरह लम्बा और मोटा था और अरुणिमा को गांड मराने में परेशानी हो रही थी.

उसने जरा सा चेहरा घुमा कर कहा- सब गांड मारने के लिए ही क्यों मरे जाते हो, चूत चोदने का रिवाज खत्म हो गया है क्या?

उस आदमी ने आव देखा न ताव एक झटका दिया और लंड सरसरा कर अन्दर चला गया.
अरुणिमा घुटी घुटी सी चीख मार दी और बेचैनी से स्लैब पर मुठ्ठी मारने लगी.

थोड़ी देर बाद जब उसकी सांस में सांस आई तो वो आदमी गांड में लंड पेलता हुआ अरुणिमा से बोला- चूत प्रेमिका और बीवी की चोदी जाती है, यही रिवाज है. हमारे यहां तो रंडियों की सिर्फ गांड मारने का रिवाज है.
ये बोल कर वो उसकी गांड चोदने लगा.

_____

अब आगे फ्री वाइफ सेक्स कहानी:

वो आदमी पूरी ताकत से अरुणिमा के मम्मों को भी मसल दे रहा था.
ना वो बीच में रुका, ना सांस ली. बस लगातार अरुणिमा को चोदता रहा.

अरुणिमा गांड चोदते हुए उसे बीस मिनट हो गए थे. उसके बाद वो उसकी गांड में झड़ गया.
अरुणिमा ने फिर से अपने आपको साफ़ किया.

मुझे उसके लिए बहुत बुरा लग रहा था मगर अरुणिमा को तो जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ा था.
उसने फिर अपने बाल और चेहरा ठीक किए और मेरे करीब आई.

मेरी नंगी बीवी ने मेरे लंड को पैंट के ऊपर से पकड़ा और खींचते हुए एक कुर्सी तक ले गई.

हालांकि मेरा लंड खड़ा नहीं था अब तक क्योंकि मुझे उसको चुदते हुए देख कर मजा नहीं आ रहा था बल्कि बुरा लग रहा था.
लेकिन अरुणिमा के मेरे लंड को पकड़ते ही लंड एकदम से तनतना गया.

मुझे कुर्सी पर बैठा कर उसने पैंट की जिप खोल कर मेरा लंड बाहर निकाला और मेरी गोद में चढ़ गई.

प्यार से मुझे चूमा और बोली- बाकी के लिए रंडी या वेश्या हूँ, तुम्हारी तो बीवी हूँ, तुम तो पहले मेरा चूत ही चोदोगे ना?
ये बोलते हुए उसने अपनी चूत में मेरा लंड ले लिया. फिर वो मेरे लंड पर ऊपर नीचे कूदने लगी.

मैंने उसकी कमर को पकड़ लिया ताकि लंड फिसल कर बाहर ना आ जाए.
अभी चुदाई चल ही रही थी कि एक नौकर आया और अरुणिमा से बोला- मैडम, आपको बाहर बुला रहे हैं.

अरुणिमा अपनी सांस संभालती हुई बोली- बोल दो, दस मिनट में आ रही हूँ.
ये बोल कर वो जोर जोर से मेरे लंड पर कूदने लगी ताकि मैं जल्दी झड़ जाऊं.

उसने अपनी चूत को सिकोड़ भी लिया ताकि थोड़ा घर्षण बढ़ जाए.
अभी पांच मिनट ही हुए थे कि विश्वेश्वर जी खुद कमरे में आ गए और साथ में गुरबचन जी भी थे.

उन्होंने अरुणिमा को बगल से पकड़ा और उठा कर मेरी गोद से नीचे उतार दिया.

मेरा लंड बाहर निकल गया और अरुणिमा सकपकाई हुई पास खड़ी हो गई थी.

विश्वेश्वर जी बोले- भड़वे तुझे चोदना है … तो घर में चोद लेना, हमारे लंड को क्यों इंतज़ार करवा रहा.
गुरबचन जी बोले- हम तेरी अरुणिमा की चूत की आग तो अभी बुझा ही देंगे. तू एक काम कर … मुठ मार कर आ जा.

इतना कह कर उन्होंने अरुणिमा को गोद में उठाया और सामने वाले कमरे की तरफ चल दिए.

उनके इस रवैये से मेरा लंड तुरंत मुरझा गया.
मैंने लंड अन्दर घुसाया और पैंट की ज़िप बंद करके सामने के कमरे में आ गया.

जब तक मैं वहां पहुंचा गुरबचन जी एक बेड पर लेट गए थे और अरुणिमा उनके लंड पर बैठ कर उसे अपनी चूत में ले चुकी थी.
विश्वेश्वर जी अपने लंड पर तेल लगा कर उसकी गांड में लंड घुसा चुके थे और राजशेखर जी अरुणिमा के बगल में खड़े होकर उसके मुँह में अपना लंड पेल चुके थे.

मेरे पहुंचते साथ ही उन सबने एक साथ अरुणिमा के तीनों छेदों को चोदना चालू कर दिया था.
बाकी तीन लोग पास आकर उनको देखने लगे और बोलने लगे कि लगा नहीं था कि ये कॉलेज की छोरी सी दिखने वाली लड़की, इस हद तक लंड ले सकती है, विश्वास नहीं होता.

उनमें से एक बोला कि आपके खत्म करने के बाद हम तीनों भी ये पोज़ एक बार आजमाएंगे.
वो तीनों अरुणिमा को चोदते रहे और अरुणिमा चुदाई का मजा लेती रही.

लगभग बीस मिनट के बाद एक साथ झड़ गए.
तीनों अभी अपना लंड निकाल कर अलग ही हुए थे कि बाकी के तीनों ने अरुणिमा को फिर से उसी पोज़ में जकड़ लिया.

एक ने चूत में, एक ने गांड में … और एक ने मुँह में लंड डाल दिया और दोबारा उसकी चुदाई चालू हो गई.

थका देने वाली लम्बी चुदाई के बाद तीनों लगभग एक साथ झड़ गए.

चुदन के बाद अरुणिमा उठी और थोड़ा लड़खड़ाई, मैंने आगे बढ़ कर उसको सहारा दिया और किचन तक ले गया.

पीछे पीछे विश्वेश्वर जी आए और अरुणिमा को देख कर बोले- हम सब निकल रहे हैं. हमको छोड़ने ड्राइवर जा रहा. डेढ़ दो घंटे में आ जाएगा, फिर अरुणिमा को घर छोड़ देगा.
मैंने सर हिला दिया और अरुणिमा को एक कमरे में एक बिस्तर पर लिटा दिया.
वो सो गई और मैं भी सोफे पर जाकर लेट गया.

लगभग दो घंटे बाद मेरी भी नींद खुली तो देखा कि अरुणिमा किचन की तरफ जा रही थी.

वो बिना खुद को साफ़ किए सो गई थी इसलिए मैंने सोचा कि खुद को साफ़ करके आ जाएगी.
मैं वहीं पड़ा रहा और उस तरफ नहीं गया.

दस मिनट से ज्यादा हो गया लेकिन वो वापस नहीं आई तो मैं भी किचन की तरफ गया.

किचन पहुंच कर देखा कि अरुणिमा किचन के बीच में खड़ी है और फार्महाउस के दो नौकर उसको आगे और पीछे से चोद रहे हैं.

मैंने थोड़ा गरज कर कहा- ये क्या हो रहा है?
तो एक नौकर बोला- विश्वेश्वर जी की जितनी भी रंडियां हैं, उनके जाने के बाद हम एक दो बार उन रंडियों को ज़रूर चोदते हैं. अब मैडम कुछ ज्यादा ही चुद गई हैं, तो एक बार चोद के जाने देंगे.

अरुणिमा ने हाथ से इशारा करके मुझे शांत रहने को बोला.
तो मैंने कोई जवाब नहीं दिया.

ये दोनों बहुत तेजी से उसको चोदते रहे और बीस मिनट में उसकी चूत और गांड में झड़ गए.
उसके बाद वो दोनों अपने कपड़े पहन कर चले गए.

अरुणिमा बाथरूम गई और अच्छे से अपनी चूत और गांड को धोने लगी.
फिर अपने आपको ठीक करके बाहर वाले कमरे में आकर बैठ गई.

थोड़ी देर बाद ड्राइवर आ गया और उसने अरुणिमा को चलने को बोला.
अरुणिमा उठी और स्कार्पियो में जाकर बैठ गई.

उसके बाद स्कार्पियो निकली और मैं भी अपनी बाइक से उसके पीछे पीछे चल दिया.

थोड़ी दूर जाने के बाद स्कार्पियो फिर से सड़क छोड़ कर मैदान में उतरी और एक सुनसान पेड़ के नीचे खड़ी हो गई.
मैंने बाइक तेज़ की और स्कार्पियो तक पहुंचा.

अब तक ड्राइवर नीचे उतर कर अरुणिमा को नीचे उतरने को बोल रहा था.

मैंने ड्राइवर से कहा- तुझे चोदना ही था तो वहीं चोद लेता. यहां क्यों रोका?
ड्राइवर ढिटाई बोला- मुझे ऐसी ही जगह पर मज़ा आता है.

अरुणिमा नीचे उतरी और वो उसको गोद में बैठा कर पैसेंजर सीट पर बैठ गया.

मैंने उसे फिर से टोका- भाई! बहुत ज्यादा चुद गई है आज. प्लीज घर छोड़ दे.

ड्राइवर ने अरुणिमा को कमर से पकड़ा और सबसे पहले उसके होंठों को अच्छे से चूमा, फिर मुझसे बोला- देख भाई! तुझे इसको नंगी बाइक के पीछे बैठा कर ले जाना है, तो ले जा. मैं बिना इसको चोदे यहां से नहीं जाने वाला. अब मचमच मत कर और मुझे अच्छे से चोदने दे.

मुझे उसकी बात समझ आ गई थी.
अरुणिमा को नंगी बाइक पर बैठा कर ले जा सकता नहीं था. उसे सिर्फ स्कार्पियो से ही घर पहुंचाया जा सकता था और ये बात ड्राइवर बहुत अच्छे से जानता था.

अपनी बात बोलने के बाद उसने फिर से अरुणिमा के होंठों को चूमना चालू कर दिया. फिर उसके निप्पल्स को चूसना चालू किया.
निप्पल्स चूसते टाइम वह उसके मम्मों को मसल भी रहा था.

जब वो चूमाचाटी से संतुष्ट हो गया, तो उसने अरुणिमा को अपने पैरों के पास बैठने को बोला.

फिर अपनी पैंट उतार कर उसे लंड चूसने को बोला. अरुणिमा बिना बहस किए उसका लंड चूसने लगी और वो आंख बंद करके मज़ा लेता रहा.
थोड़ी देर बाद वो अरुणिमा को बाहर निकल कर बीच वाली सीट पर लेटने को बोला.

अरुणिमा कमर तक सीट पर लेट गई और उसने अरुणिमा की जांघों को पकड़ कर फैलाया और उसकी चूत में अपना लंड घुसा दिया.
उसके बाद वह कभी उसके निप्पल्स को चूसता तो कभी उसके गले को चूमता. साथ में अपने लंड से उसकी चूत चोदता जा रहा था.

जब वो थक जाता तो फिर से अरुणिमा के मम्मों से खेलने लगता और थोड़ी देर बाद फिर चुदाई चालू कर देता.
उस चोदते चोदते बीस मिनट हो गए थे, उसके बाद वह अरुणिमा की चूत में ही झड़ गया और थोड़ी देर उसके ऊपर पड़ा रहा.

फिर उसने अरुणिमा को अपनी गोद में उठाया और वापस अपनी सीट पर आ कर बैठ गया.
अरुणिमा को अपनी गोद में बिठा कर उसन मम्मों और निप्पल्स से खेलना दोबारा चालू कर दिया.

मैं थोड़ा उतावला होकर बोला- भाई … एक बार चोद लिया ना, अब तो चल!
उसने निप्पल्स छोड़ कर कहा- एक बार इसकी गांड भी मारूंगा, फिर चलते हैं. तू बोल रांड … गांड में लेना है न!
अरुणिमा ने हंस कर उसे हां कर दी.

मुझे उसकी बात पर गुस्सा आ रहा था पर स्कार्पियो की आवश्यकता के कारण मैं उससे ज्यादा बोल नहीं पा रहा था.

कुछ मिनट उसके बदन से खेलने के बाद अरुणिमा ने उसका लंड चूस कर फिर से खड़ा कर दिया.

उसने अरुणिमा को फिर से गाड़ी से बाहर निकाला और सीट पर कोहनी रख कर झुक कर खड़े होने को बोला.

डैशबोर्ड से उसने नारियल का तेल निकाला और अपने लंड पर लगाया. उसके बाद उसने अरुणिमा के चूतड़ों को अलग किया और उसकी गांड में अपना लंड घुसा दिया.
अरुणिमा ने एक मीठी सी आह भरके उसका लंड अपनी गांड में ले लिया और मेरी फ्री वाइफ सेक्स का मजा लेने लगी.

वो अरुणिमा की कमर पकड़ कर उसको चोदने लगा.
थोड़ी देर बाद रुका और मुझसे बोला- अबे भड़वे … तू क्या देख रहा है भोसड़ी के … बाइक से निकल जा, मुझे झड़ने में ज्यादा से ज्यादा दस मिनट लगेंगे. उसके बाद स्कार्पियो तेज चला कर मैं पहुंच जाऊंगा. उतनी तेज तेरी बाइक नहीं चलेगी. घर जा और मेन गेट खोल कर रखना, नहीं तो बाहर गाड़ी रोकना पड़ेगा और किसी आते जाते वाले ने देख लिया तो तेरे लिए ही मुसीबत हो जाएगी.

मुझे भी उसकी बात सही लगी और तभी अरुणिमा ने भी मुझे अपना सर हिला कर जाने का इशारा दे दिया.
मैंने भी बहस नहीं की और बाइक चालू करने लगा.

जैसे ही बाइक चालू हुई, ड्राइवर ने दोबारा कमर पकड़ कर उसकी गांड मारना चालू कर दिया.

मैं घर पहुंच गया और सारे गेट खोल कर उन दोनों के आने आ इंतजार करने लगा.
मुझे लगा कि दस मिनट बाद वो लोग आ जाएंगे, पर इंतजार करते करते लगभग एक घंटा हो गया, लेकिन वो नहीं आए.

मैंने अधीर होकर विश्वेश्वर जी को कॉल किया. दो तीन बार फोन नहीं उठा, फिर कॉल उठा.
मैंने जो हुआ उन्हें बताया और स्थिति से अवगत कराया.

वो थोड़ा सोच कर बोले कि ड्राइवर के घर का एड्रेस दे रहा हूँ और मोबाइल नंबर भी, जाकर देख ले.
फ़ोन रखने के तुरंत बाद उनका मैसेज आया और मैंने एड्रेस देखा, उस पते का थोड़ा बहुत आईडिया मुझे था. ये एड्रेस एक झुग्गी बस्ती का था. मैं उस एड्रेस पर एक बार जा चुका था.

सबसे पहले मैंने उसको कॉल किया, लेकिन मोबाइल स्विच ऑफ था.
मैंने तुरन्त गेट लॉक किया और बाइक से उस एड्रेस की तरफ चल दिया.

लगभग दस मिनट में मैं उस एड्रेस पर पहुंचा और बाइक खड़ा करके उस ड्राइवर का घर ढूंढने लगा.
पूछताछ के बाद मुझे उसका घर मिल ही गया. स्कार्पियो घर के सामने ही खड़ी थी लेकिन दोनों स्कार्पियो में नहीं थे.

मैंने पास से गुजरते आदमी से पूछा तो उसने उस ड्राइवर के मकान की तरफ इशारा कर दिया.
मैं मकान के गेट पर पहुंचा और गेट की स्थिति से पता लग रहा था कि गेट अन्दर से लॉक नहीं था.

मैंने गेट को धकेला और अन्दर चला गया. सामने के कमरे में कोई नहीं था, सो मैं दबे कदमों से पीछे के कमरे की तरफ गया.

जब कमरे के नजदीक पहुंचा तो मुझे अरुणिमा की मादक सिसकारियां सुनाई दीं.
मैंने एक झटके से कमरे में घुसने की जगह छुप कर कमरे में झांका.

कमरे में एक डबल बेड पड़ा था, जिस पर वो ड्राइवर टिक कर बैठा था. उसके ठीक सामने अरुणिमा खड़ी थी. वो बिस्तर पर झुकी हुई थी और उसने अपनी हथेलियां बिस्तर पर रखी हुई थीं.
उस ड्राइवर के बगल में एक दूसरा आदमी बैठा था और अरुणिमा की गांड की तरफ एक और आदमी था, जो उसकी गांड मार रहा था.

शायद उसका लंड काफी मोटा रहा होगा इसलिए अरुणिमा कुछ छटपटा रही थी. ड्राइवर अरुणिमा के ठीक सामने बैठ कर अपने मोबाइल पर उसका वीडियो बना रहा था.

वीडियो बनाते बनाते उसने दूसरे आदमी से कहा- एक हजार रुपए वसूल हुए या नहीं? चोदने में मज़ा आया ना!
वो कुछ नहीं बोला, बस हंस दिया.

ड्राइवर फिर से बोला- जब मैंने पहले बोला था, तो साले एक हजार में भी तुम दोनों को महंगी लग रही थी, अब उतने में भी सस्ती लग रही है.
दूसरा आदमी बोला- ये अपनी मर्जी से आई है या तू लेकर आया है?
ड्राइवर बोला- साले जबरन लेकर आया होता तो अभी तेरे लंड को लेती ही नहीं.

थोड़ी देर रुक कर उसने फिर से कहा- अब वीडियो बना लिया है, तो इसके पति की मां की चुत. ये तो चुदने के लिए हमेशा राजी रहती है. मैं इसको लेकर आता रहूँगा. तुम लोग कस्टमर दिलवाओ और बाद में तुम इसको फ्री में चोद लेना. अब इसकी भड़वागिरी हम लोग करेंगे, इसके पति की मां का भोसड़ा.

इस पर मेरी बीवी हंस दी.
उसके चेहरे से लग ही नहीं रहा था कि वो कैसे लंड लेने की शौकीन हो गई है.

ये सब देख सुनकर मैं चुपचाप बाहर गया और विश्वेश्वर जी को कॉल करके सारी बात से अवगत कराया.

ड्राइवर की इस हरकत पर वो बहुत गुस्सा हुए और मुझे दस मिनट रुकने को बोले.

दस मिनट बाद 6 आदमी बाइक पर आए और मुझसे मिले.

मैंने उनको घर दिखाया और वो मेरे साथ अन्दर घुसे.
अन्दर कमरे में घुसते ही ड्राइवर की गांड फट गई, उस सबको देख कर वो थरथर कांपने लगा.

बाकी लोगो की भी गांड फट गई थी और जो आदमी अरुणिमा की गांड मार रहा था उसने तुरंत अरुणिमा को छोड़ दिया.

मेरे साथ आए आदमी ने एक टी-शर्ट और एक जीन्स मुझे दी और कहा कि अरुणिमा को पहना कर घर ले जाओ.

मैंने अरुणिमा को दिया तो अरुणिमा सामने के कमरे में फटाफट कपड़े पहनने लगी.

इतने देर में अन्दर उन तीनों के मोबाइल छीन कर रख लिए थे और उसमें बने गई वीडियो को डिलीट कर दिया गया था.

ये देख कर मुझे राहत मिली.

फिर अरुणिमा के तैयार होते ही मैं उसको लेकर बाहर आ गया और हम दोनों घर के लिए निकल आए.
घर पहुंच कर अरुणिमा पहले नहाने घुस गई, फिर थोड़ा खा पीकर सो गई.

मैंने उसे परेशान नहीं किया और सुबह तक सोने दिया.

मेरी फ्री वाइफ सेक्स कहानी पर आप किसी भी प्रकार की राय देने के लिए स्वतंत्र हैं और मेल पर मुझसे संपर्क कर सकते हैं.

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